प्रेरक प्रसंग | Dharmik Kahaniya - Hindi Shayari

Hindi shayri ek aisa maadhyam hai jisake dvaara ham apane dil kee baat bahot aasaanee se kah sakate hain. aur sabase badee baat ye hai kee हिंदी नहीं जो दिल में जगह तो नजर में रहने दो, मेरी हयात को तुम अपने असर में रहने दो, मैं अपनी सोच को Read Hindi Shayari, Best Hindi Sher-o-Shayari for facebook or whatsapp status, Latest Shayari in Hindi. New Collection of Hindi Shayaris from Famous Poets.

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Saturday, May 26, 2018

प्रेरक प्रसंग | Dharmik Kahaniya

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जीवन में कुछ सुने-सुनाए  प्रेरक प्रसंग हमें कभी-कभी ज़िन्दगी का एक बड़ा पाठ पढ़ा जाते है, इसलिए बड़े बुजुर्ग हमेशा हमें कुछ ना कुछ नया पढने और सीखते रहने का ज्ञान देकर गए है| Hindi Short Stories के इस अंक में हम आज आप सभी के लिए कुछ प्रेरक प्रसंग | Dharmik Kahaniya लेकर आएं हैं जिन्हें पढ़कर आप अपने जीवन में कुछ नए अनुभव ले सकेंगे….






                         उम्र केवल चार वर्ष | Dharmik Kahaniya


एक राज्य के राजा को जो कोई भी मिले सभी से कुछ ना कुछ पुचकार सीखते रहने का स्वाभाव हो गया था| उसके इस स्वाभाव के कारण ही उसने काफी कम उम्र में बहोत ही ज्यादा अनुभव ग्रहण कर लिया था| सीखते रहने की इस प्रवृति के कारण वह हमेशा किसी ना किसी से कुछ ना कुछ पूछता रहता था|
एक बार राजा राज्य भ्रमण के लिए वेश बदलकर अपने महल से बाहर निकला ही था की उसे महल के बहार ही एक वृद्ध किसान मिल गया| किसान के बाल पाक गए थे लेकिन शरीर में अभी भी जवानों जैसी चेतना विद्यमान थी| किसान की चेतना का रहस्य जानने और पूछन की अपनी प्रवृति के फल स्वरुप उसने वृद्ध से पुछा, “महानुभाव!आपकी आयु कितनी होगी ?


वृद्ध ने राजा को मुस्कान भरी दृष्ठि से देखा और बोला, ” कुल चार वर्ष”| राजा किसान की बात सुनकर मुस्कुरा दिया| राजा ने सोचा वृद्ध शायद मजाक कर रहा है इसलिए राजा ने दुबारा किसान से वाही सवाल पुछा| लेकिन इस बार भी किसान ने वही जवाब दिया| किसान का ज़वाब सुन राजा क्रोध से भर गया| एक बार तो विचार आया की वृद्ध किसान को बता दिया जाए की वह कोई आम आदमी नहीं वरन वेश बदलकर आया हुआ इस राज्य का रजा है| लेकिन फिर राजा को अपने गुरुवार की कही एक बात याद आइ कि “क्रोध और उत्तेजित हो उठने वाले व्यक्ति कभी भी ज्ञान हासिल नहीं कर सकते| यह सोचकर राजा का क्रोध वहीं शांत हो गया|


अब राजा ने नए सिरे से पुछा, ” पितामह! आपके बाल पाक गए हैं, आप लाठी लेकर चल रहें हैं, शरीर में झुरियां पड गई है…मेरा अनुमान है कि आप 80 वर्ष से कम के ना होंगे लेकिन फिर भी आप आपकी उम्र महज 4 वर्ष ही बता रहें हैं यह कैसे संभव हो सकता है ?
वृद्ध ने गंभीर होकर कहा, आप बिलकुल ठीक कह रहें हैं, मेरी उम्र 80 वर्ष ही है, किन्तु मैंने अपनी ज़िन्दगी के 76 वर्ष धन कमाने, ब्याह शादी करने और बच्चे पैदा करने में गवा दिए| ऐसा जीवन तो कोई पशु भी जी सकता है, इसलिए में उसे जीवन नहीं मानता हूँ|
यह बात मुझे चार वर्ष पहले समझ आई और मैंने अपना जीवन इश्वर उपासना, जप-तप, करुणा और सेवा में लगा दिया है| इसलिए में अपने आप को महज 4 वर्ष का ही मानता हूँ|


राजा को वृद्ध की बात समझ आ गई और वह राजमहल लौटकर सादगी, सेवा और सज्जनता का जीवन जीने लगा|


प्रेरक प्रसंग | Dharmik Kahaniya


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            भगवान सबको देखता है | Dharmik Kahaniya


एक बार एक गाँव में एक भला आदमी बिक्री से दुखी था| यह देख एक चौर को उस पर दया आ गई| वह उस बेरोजगार आदमी के पास गया और बोला, “मेरे साथ चलो, चोरी में बहुत सारा धन मिलेगा” आदमी बैकर बैठे-बैठे परेशान हो गया था| इसलिए वह उस चौर के साथ चोरी करने को तैयार हो गया| लेकिन अब समस्या यह थी की उसे चोरी करना आती नहीं थी|
उसने साथी से कहा, “मुझे चौरी करना आती तो नहीं है, फिर कैसे करूँगा|”
चौर ने कहा” तुम उसकी चिंता मत करो, मई तुम्हें सब सिखा दूंगा”


अगले दिन दोनों रात के अँधेरे में गाँव से दूर एक किसान का पका हुआ खेत काटने पहुँच गए| वह खेत गाँव से दूर जंगल में था इसीलिए वहां रात में कोई रखवाली के लिए आता जाता न था| लेकिन फिर भी सुरक्षा के लिहाज़ से उसने अपने नए साथी को खेत की मुंडेर पर रखवाली के लिए खड़ा कर दिया और किसी के आने पर आवाज लगाने को कहकर खुद खेत में फसल चोरी करने पहुँच गया|


नए साथी ने थोड़ी ही देर में अपने साथी को आवाज लगे, “भर जल्दी उठो, यहाँ से भाग चलो…खेत का मालिक पास ही खड़ा देख रहा है” चोर ने जैसे ही अपने साथी की बात सुनी वह फसल काटना छोड़ उठकर भागने लगा|
कुछ दूर जाकर दोनों खड़े हुए तो चोर ने साथी से पुछा, “मालिक कहाँ खड़ा था? कैसे देख रहा था?


नए चोर ने सहजता पूर्वः जवाब दिया, “मित्र! इश्वर हर जगह मौजूद है| इस संसार में जो कुछ भी है उसी का है और वह सब कुछ देख रहा है| मेरी आत्मा ने कहा, इश्वर यह भी मौजूद है और हमें चोरी करते हुए देख रहा है…इस स्थती में हमारा भागना ही उचित था|


पहले चौर पर बेरोजगार आदमी की बातों का इतना प्रभाव पड़ा की उसने चोरी करना ही चौद दिया|


प्रेरक प्रसंग | Dharmik Kahaniya



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