ननंद | Emotional Story in Hindi | Hindi Kahaniyan - Hindi Shayari

Hindi shayri ek aisa maadhyam hai jisake dvaara ham apane dil kee baat bahot aasaanee se kah sakate hain. aur sabase badee baat ye hai kee हिंदी नहीं जो दिल में जगह तो नजर में रहने दो, मेरी हयात को तुम अपने असर में रहने दो, मैं अपनी सोच को Read Hindi Shayari, Best Hindi Sher-o-Shayari for facebook or whatsapp status, Latest Shayari in Hindi. New Collection of Hindi Shayaris from Famous Poets.

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Saturday, May 26, 2018

ननंद | Emotional Story in Hindi | Hindi Kahaniyan

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दुनियां में हर इन्सान की अहमियत है और हर एक इन्सान की अपनी एक अलग सोच| इस दुनियां में हर इन्सान दुनिया की सोच बदलने की ताक़त रखता है| आज की हमारी युवा पीढ़ी और परिवार के बिच गई मुद्दों पर अलग-अलग सोच है| हमारी आज की कहानी इसी सोच के एक पहलु को बयां करती है, आइये पढ़ते हैं ननंद | Emotional Story in Hindi






                           ननंद | Emotional Story in Hindi


शिखा !  परिवार की लाडली बिटिया या फिर यूँ कहें की परिवार की आन, बान और जान| जब घर में होती तो ऐसा लगता मानों घर में आसमान टूट पड़ा हो| घर में इधर उधर धमा-चोकड़ी करना और खूब सारी बातें करना उसके पसंदीदा कामों में से एक था| शिखा के दादाजी शिखा को बहुत प्यार करते थे, लेकिन आजकल उन्हें शिखा की एक चिंता और खाए जा रही थी और वो थी शिखा की शादी की चिंता| बस दादाजी अब हर परिवार में शिखा का ससुराल ढूंढते| लेकिन शिखा को शादी नाम से ही इतनी चिढ थी कि शादी का नाम सुनते ही वह गुस्सा होकर, मुह फुला कर दुसरे कमरे में बैठ जाती|


खैर, थोड़ी देर में उसका गुस्सा खुद-ब-खुद उतर जाता और वो वापस अपनी धमा-चोकड़ी में व्यस्त हो जाती| काफी खोज-बिन के बाद भी शिखा के दादाजी को कोई ऐसा परिवार नज़र नहीं आया जहाँ वे अपनी लाडली बिटिया की शादी कर सके| इसलिए उन्होंने अपने बचपन के दोस्त से इस बारे में राय लेने का निश्चय किया| बस फिर क्या था वे अपने दोस्त रायबहादुर से मिलने बरेली की और निकल पड़े |


अगले दिन जब वह बरेली पहुंचे तो रायबहादुर ने स्टेशन पर ही उनके लिए गाड़ी भेज दी थी| 10 साल बाद अपने बचपन के दोस्त से मिलने के लिए वे भी बड़े उतावले थे| गाडी धीरे-धीरे रायबहादुर के घर की और बढ़ी ! बड़ा सा बंगलो, बंगलों के आगे बगीचा, गाड़ियाँ और  नोकर-चाकर देख दादाजी का मन ख़ुशी से भर गया|


इन 10 सालों में रायबहादुर ने कितनी तरक्क्की कर ली है, नहीं तो 10 साल पहले रायबहादुर के पास था ही क्या| बस यही सब सोचते-सोचते शिखा के दादाजी अपने दोस्त के बंगलो पहुँच ही गए|


गाड़ी की हॉर्न की आवाज के साथ ही रायबहादुर घर के बाहर अपने दोस्त के स्वागत के लिए आ गए थे| अपने दोस्त को गले लगाकर वे दादाजी को अन्दर ले गए| घर अन्दर से भी काफी शानदार था, अपने दोस्त की सम्पन्नता को देख शिखा के दादाजी भी फुले नहीं समाए|


ननंद | Emotional Story in Hindi


चाय-नाश्ता के बाद रायबहादुर ने उनके खास दोस्त से आने का कोई खास कारण पुछा|  दादाजी ने पोती की शादी के लिए एक अच्छा सा परिवार ढूंढने की का काम सोंपते हुए बिटिया का फोटो रायबहादुर के हाथ में सोंप दिया|


रायबहादुर भी अपने बेटे विक्रम के लिए एक सुयोग्य कन्या की तलाश में थे| तीखे नैन नक्श, चहरे पर तेज और एक बार में ही किसी को पसंद आने वाली शिखा बिटिया को फोटो में देखकर ही उन्होंने शिखा को अपने घर की बहु बनाने का फैसला कर लिया|


रायबहादुर इतना सोच ही रहे थे की इतने में उनका बेटा विक्रम आ गया| विक्रम ने दादाजी के पैर छुए और हाल-चाल पूछने के बाद ऑफिस की और निकल गया| विक्रम के जाने के बाद रायबहादुर ने अपने दोस्त से विक्रम और शिखा के सम्बन्ध के लिए पेशकश की| शिखा के दादाजी को लगा जैसे रायबहादुर ने उनके मुह की बात छिन ली हो|


खेर, प्रसंन्नता से विदा लेकर अपने घर आने का कहकर दादाजी अपने घर की और निकल गए|


विक्रम को शिखा बहुत पसंद थी| लेकिन विक्रम की माँ, विक्रम की शादी अपने से भी बड़े घर में करना चाहती थी लेकिन विक्रम के मनाने पर वह मान गई और तय समय पर विराम और शिखा की शादी हो गई|


ससुराल में शिखा के साँस-ससुर, विक्रम के बड़े भैया-भाभी और शिखा की ही उम्र की एक ननंद थी रागिनी| अपनी साद्की और सबका अच्छे से ख्याल रखने के कारण शिखा ने घर में सबके दिलों में जगह बना ली| लेकिन अपनी तमन कोशिशों के बावजूद अपनी सासू- माँ  का प्यार पाने में असफल रही|वह शिखा के हर काम में कुछ ना कुछ गलती निकाल ही देती थी|


अपनी शादी की रात को ही विक्रम ने शिखा से साफ-साफ कह दिया था,की”घर के किसी भी मामले में में बिलकुल नहीं बोलूँगा| ना तो में किसी बात पर माँ से बहस करूँगा और ना ही तुम्हारा साथ दूंगा| तुम्हें अपनी समझदारी से ही काम लेना होगा|”


लेकिन शिखा की लाख कोशिशों के बावजूद भी सासू-माँ के व्यव्हार में कोई परिवर्तन नहीं आ रहा था| शिखा की ननद जरुर उसकी माँ से शिखा भाभी के प्रति इस तरह के व्यहवार पर उलझ जाती लेकिन इस से भी केवल बात बढ़ने के अलावा कुछ नहीं होता| इसी तरह करीब एक साल निकल गया| शिखा और विक्रम को जुड़वाँ बेटियाँ हुई| यह समय शिखा के लिए अग्नि परीक्षा का समय था| शिखा का दर्द शिखा के लिए आंसू बन गया था ससुराल में शिखा को सम्हालने वाला कोई नहीं था और विक्रम और उनके पापा ने शिखा को अपने मायके भेजने के लिए पहले ही मना कर दिया था|


ननंद | Emotional Story in Hindi


एक दिन रागिनी कॉलेज से आई तो उसने सभी को कॉलेज के सालाना कार्यक्रम में आने के लिए कहा और यह भी कहा की कॉलेज में उसकी भी दो थी प्रस्तुतियां है इसलिए आप सभी का चलना बहुत ज़रूरी है| खैर, ना चाहते हुए भी शिखा को अपनी दोनों जुड़वाँ बेटियों के साथ रागिनी के कॉलेज जाना पड़ा|


कार्यक्रम की शुरुआत में गीत संगीत की कई प्रस्तुतियां हुई| उसके बाद माडलिंग राउंड शुरू हुआ| दर्शकों ने तालियों के साथ सभी का उत्साहवर्धन किया| माडलिंग में रागिनी ने भी हिस्सा लिया था| आखरी राउंड में रागिनी के साथ चार और लड़कियों को सेलेक्ट किया गया जहाँ सभी से जज द्वारा एक-एक सवाल पूछकर विजेता घोषित करना था| सवाल-जवाब का दौर शुरू हुआ| इसी कड़ी में जज साहिबा ने रागिनी से सवाल पुछा, “अगर घर में तुम्हारी माँ और भाभी में से किसी एक का साथ देना हो तो तुम किसका साथ दोगी”


पुरे सदन में ख़ामोशी छाई थी| सभी रागिनी के ज़वाब की प्रतीक्षा कर रहे थे| तभी रागिनी ने थोडा आगे बढ़कर कहा, “अगर भाभी सही हो तो अपनी भाभी का”


जज साहिबा ने आगे पुछा, ” क्यों ?”


रागिनी ने ज़वाब दिया, “क्यों की मुझे भी कल किसी की भाभी बनना है”


जवाब सुनते ही पुरे सदन में तालियाँ गूंज उठी| सभी रागिनी की सोच और उसके सटीक जवाब की प्रशंशा कर रहे थे|


रागिनी को विजेता घोषित किया गया| पुरुस्कार लेने से पहले रागिनी ने सभी से कुछ कहने के लिए माइक थामते हुए कहा, “हर बेटी अपनी माँ से बहुत प्यार करती है और माँ भी अपनी बेटी के दिल के सबसे करीब होती है| इसी तरह हमारे घर की बहुएं भी तो किसी की बेटियां है| आज हम किसी की बेटियां है कल से किसी की भाभियाँ और बहुएं बनेंगी| अगर कल से हमें कुछ दुःख हुआ तो हमारी माँ को भी दुःख होगा और इसी तरह हमारे घर की बहु को दुःख हुआ तो उनकी माँ को भी दुःख पहुंचेगा| और इस दुनियां में किसी भी इन्सान को किसी की भी माँ को दुःख  पहुँचाने का कोई हक़ नहीं है इसीलिए हर साँस अपनी बहु को अपनी बेटी समझे तो आगे चलकर उनकी बेटी भी खुश रहेगी|”


रागिनि के इतना कहते ही पूरा सदन एक बार फिर तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा|


ननंद | Emotional Story in Hindi


                         तालियों की गडगडाहट के बिच ही शिखा की साँस ने शिखा को गले से लगा लिया|


पढ़ें कैसे एक छोटे से बाचे ने अपनी नादानी से एक बड़े झगडे को सुलझा दिया :- हिंदी कहानी -पिज़्ज़ा 

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