पंच रत्न | Hindu Mythology Stories - Hindi Shayari

Hindi shayri ek aisa maadhyam hai jisake dvaara ham apane dil kee baat bahot aasaanee se kah sakate hain. aur sabase badee baat ye hai kee हिंदी नहीं जो दिल में जगह तो नजर में रहने दो, मेरी हयात को तुम अपने असर में रहने दो, मैं अपनी सोच को Read Hindi Shayari, Best Hindi Sher-o-Shayari for facebook or whatsapp status, Latest Shayari in Hindi. New Collection of Hindi Shayaris from Famous Poets.

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Saturday, May 26, 2018

पंच रत्न | Hindu Mythology Stories

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हिन्दू ध्रर्म (hindutva) विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है| सदियों से हिन्दू धर्म में कई कहानिया, किस्से चलें आएं है जो हमें कहीं ना कहीं जीवन के किसी न किसी पड़ाव में कोई न कोई शिक्षा जरुर दे जाते हैं| उन्हीं कुछ किस्से कहानियों में से एक कहानी पंच रत्न | Hindu Mythology Stories हम आपके बिच लेकर आएं हैं|


                           पंच रत्न | Hindu Mythology Stories



महर्षि कपिल प्रतिदिन पैदल अपने आश्रम से गंगा स्नान के लिए जाया करते थे| मार्ग में एक छोटा सा गाँव पड़ता था| जहाँ पर कई किसान परिवार रहा करते थे| जिस मार्ग से महर्षि गंगा स्नान के लिए जाया करते थे,  उसी मार्ग में एक विधवा ब्राम्हणी की कुटीया भी पड़ती थी| महर्षि जब भी उस मार्ग से गुजरते, ब्राम्हणी या तो उन्हें चरखा कातते मिलती या फिर धान कुटते| एक दिन विचलित होकर महर्षि ने ब्राम्हणी से इसका कारण पूछ ही लिया| पूछने पर पता चला की ब्राम्हणी के घर में उसके पति के अलावा आजीविका चलने वाला कोई न था| अब पति की म्रत्यु के बाद पुरे परिवार के भरण पोषण की ज़िम्मेदारी उसी पर आ गई थी|





कपिल मुनि को ब्राम्हणी की इस अवस्था पर दया आ गई और उन्होंने ब्राम्हणी के पास जाकर कहा, “भद्रे ! में पास ही के आश्रम का कुलपति कपिल हूँ| मेरे कई शिष्य राज-परिवारों से हैं| अगर तुम चाहो तो में तुम्हारी आजीविका की स्थाई व्यवस्था करवा सकता हूँ, मुझसे तुम्हारी यह असहाय अवस्था देखी नहीं जाती|


ब्राम्हणी ने हाथ जोड़कर महर्षि का आभार व्यक्त किया और कहा, “मुनिवर, आपकी इस दयालुता के लिए में आपकी आभारी हूँ, लेकिन आपने मुझे पहचानने में थोड़ी भूल की है| पंच रत्न | Hindu Mythology Stories
ना तो में असहाय हूँ और ना ही निर्धन| आपके शायद देखा नहीं, मेरे पास पांच ऐसे रत्न हैं जिनसे अगर में चहुँ तो खुद राजा जैसा जीवन यापन कर सकती हूँ| लेकिन मैंने अभी तक  उनकी आवश्यकता अनुभव नहीं किया इसलिए वह पांच रत्न मेरे पास सुरक्षिक रखे हैं| 


कपिल मुनि विधवा ब्राम्हणी की बात सुनकर आश्चर्यचकित हुए और उन्होंने कहा, “भद्रे ! अगर आप अनुचित न समझे तो आपके वे पांच बहुमूल्य रत्न मुझे भी दिखाएँ| देखू तो आपके पास कैसे बहुमूल्य रत्न है ?


ब्राम्हणी ने आसन बीचा दिया और कहा, “मुनिवर आप थोड़ी देर बैठें, में अभी आपको मेरे रत्न दिखाती हूँ| इतना कहकर ब्राम्हणी फिर से चरखा कातने लगी| थोड़ी देर में ब्राम्हणी के पांच पुत्र विद्यालय से लौटकर आए| उन्होंने आकर महर्षि और माँ के पैर छुए और कहा . “माँ ! हमने आज भी किसी से झूंठ नहीं बोला, किसी को कटु वचन नहीं कहा, गुरुदेव ने जो सिखाया और बताया उसे परिश्रम पूर्वक पूरा किया है|


महर्षि कपिल को और कुछ कहने की आवश्यकता नहीं पड़ी| उन्होंने ब्राम्हणी को प्रणाम कर कहा, “भद्रे ! वाकई में तुम्हारे पास अति बहुमूल्य रत्न है, ऐसे अनुशाषित बच्चे जिस घर में हो, जिस देश में हो उसे चिंता करने की आवश्यकता ही नहीं है|


पंच रत्न | Hindu Mythology Stories



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